poetry:- दोस्ती

दोस्त होता हे फरिश्ता एक, लेके आता हे सपने अनेक
होते हे पुरे अगर दोस्त हो सच्चा, टूट के रह जाते हे अगर दोस्त हो कच्चा

खामोशी को सुनना ही दोस्ती की पहचान होती हे वरना मतलब की यारी तो हजार होती हे
एक दोस्त ही दोस्त की जान होती हे यही तो दोस्ती की पहचान होती हे
जब सामने खड़े हो लोग अनेक तब साथ होती हे दोस्ती एक
बनाया हे खुदा ने फरिश्ता एक जिसको पाकर आमिर हे हर एक
उस फ़रिश्ते का नाम जब खुदा को न आया तो किसी ने उसे दोस्त बतलाया

अरे ये कलम भी उसकी परिभाषा न लिख पाया जब जुबान पर नाम दोस्त का आया
अपार संसार कुछ न कर पाया पर एक दोस्त ने दोस्त के खातिर कुछ कर दिखाया
एक दोस्त ने दोस्त के खातिर कुछ कर दिखाया

दोस्त अपने दोस्त को मौत के पास से खींच लाया जब दास उसे लेने खुदा का आया
अँधेरे में भी उजाला ले आया तभी तो वो फरिश्ता कहलाया

जब दुनिया का फेका पत्थर हम पर आया तब एक दोस्त था जिसने उसी पत्थर का घर बनाया

दोस्त अपने दोस्त का नाम अमर कर आया जब जंग लड़कर वो दुनिया से आया
अरे कुछ नहीं सोचा था उसने क्या कर दिखाया बस तभी से दोस्ती अमर हे भाया ,
बस तभी से दोस्ती अमर हे भाया  !!


आप इस कविता को यूट्यूब पे भी देख सकते हे
https://www.youtube.com/watch?v=8Iy48EOOXos&t=4s



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