poetry:- साधु हत्या

वो ली जान जो साधु की
धर्म आंच जो आएगी
न कहना फिर खौफ में
जब तलवारे खींच जाएगी !!

ये भूखंड भी बना साक्षी जो
जुर्म ये उठाइए है
ली जान जो उन साधुओ की
मुद्दे न छुप पाए हे !!

वो थे निर्दोष महामुनि
राह सबको दिखलाते थे
वो मौत के कपाट पे भी
धर्म हमे सिखलाते थे !!

वो निर्दोष के हत्यारे को
न जीवन का कोई द्वार मिला
मृत्यु के पश्यात भी
वो भय माया का जाल मिला !!





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