Poetry:- कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide)


 


ये कहानी है एक लड़की की जिसे जन्म लेने से पहले ही दफना दिया है तो अब उसकी रूह उसकी माँ से शिकायत कर रही है सुनियेगा उसकी जुबान पड़ता हु में क्या कहती है वो।


तेरी कोख से माँ जो ऊंचा स्वर लेके मेरी हत्या गुंजी थी वो कौन थे माँ जिनके सामने तू कुछ न बोली थी, जब दफनाया था हर चीख को, न उठाई तूने एक आवाज भी बेटी होने की ही मुझे ऐसी क्यों सजा दी।

दफन हो गयी थी में न मिला माँ का एहसास मुझे क्यों चीख कर भी न सुनी किसी ने मेरी पुकार ये,

में रो कर कुछ कह रही थी एक हाथ माथे पर फेर दे , बेटी हु तो क्या हुआ ये एहसास तो मुझको तू देदे।



अगर दफन न होती उस दिन, होती जिंदा आज में रख सर गोदी में तेरी सोती दिन रात में। थक जाती तू  काम कर तो तेरे पाव में दबा देती , बेटी हु तो क्या हुआ एक बेटे का एहसास भी तुझे दिला देती ।

तू कहती मुझसे जो करने को तेरे खातिर में सब कुछ कर जाती पर एक बार तो माँ  

मुझे दफनाते वक़्त तू कुछ बोली होती,एक बार तो माँ मुझे दफनाते वक़्त तू कुछ बोली होती|




Comments

Popular Posts