poetry :- ख्वाब की हकीकत
अब तो बस इस कलम की नोक पे कागज से तेरी इबादत किये फिरता हूँ,
तू थी पास एक पल मेरे पर अब उस पल को में ख्वाब गिन लिया करता हूँ।
था एक पल वो जब चाँद से नूर कहर रहा,
सामने थी तू खड़ी जाने कोई अपसरा,
थम सा गया था दिल पर साँसों में अंगार थे,
कुछ चाहते थे कहना मगर हाथो में बेड़ियो के हार थे।
आई जब पास तुम धड़कने ये बड़ गई
जो था महल वो ख्वाबो का उसकी रानी भी तुम बन गयी।
हाथ थाम बैठा तेरा उस रात चाँद के सामने,
करी थी बाते बहूत उस नूर के जहाँ में,
देख के संगम हम दोनो का चाँद भी जलकर सूरज हो गया ।
वारदाते,मुलाकाते,कशमकश चलती रहीं दिन ढलते गए और दूरी बढ़ती गई.............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................अब आई सामने तू एक हाथ को लेकर मेरे,
भीग गयी आँखे मेरी जब देखा किसी का साथ तेरे आ गया हकीकत में अब और महल ख्वाबो का टूट गया.................. रोया सारी रात में न जाने क्यों ख्वाब में धोका मिला।
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